आधी रात सिखर तैं ढलगी हुया पहर का तड़का / लखमीचंद aadi raat sikar te dalgi ragni lyrics

आधी रात सिखर तैं ढलगी हुया पहर का तड़का / लखमीचंद ragni lyrics

aadi raat sikar te dalgi ragni lyrics

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singer : Master Satbir
writer : Pt. Lakmi Chand
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Dada Lakhmi-Chand-Trimurti-thelyricsst
Dada Lakhmi-Chand-Trimurti



Adi raat sikhar te dalgi ragni hindi lyrics






आधी रात सिखर तैं ढलगी हुया पहर का तड़का।
बिना जीव की कामनी कै हुया अचानक लड़का।

जब लड़के का जन्म हुया ये तीन लोक थर्राए।
ब्रह्मा विष्णु शिवजी तीनू दर्शन करने आये।
सप्त ऋषि भी आसन ठा कै हवन करण नै आये।
साध सती और मन मोहनी नै आके मंगल गाये।

जब नाम सूना था उस लड़के का हुया काल मुनि कै धड़का।
बिना जीव की कामनी कै हुया अचानक लड़का।


साठ समन्दर उस लड़के नै दो टैम नहवाया करते।
अगन देवता बण्या रसोई, भोग लगाया करते।
इंद्र देवता लोटा ले कै चल्लू कराया करते।
पवन देवता पवन चला लड़के ने सूवाया करते।
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जब लड़के नै भूख लगी वो पेड़ निगल गया बड़ का।
बिना जीव की कामनी कै हुया अचानक लड़का।


कामदेव पहरे पै रहता चारों युग के साथी।
अस्ट वसु और ग्यारा रूद्र ये लड़के के नाती।
बावन कल्वे छप्पन भैरो गावें गीत परभाती।
उस के दरवाजे के ऊपर बेमाता साज बजाती।

गाना गावे साज बजावे करै प्रेम का छिड़का।
बिना जीव की कामनी कै हुया अचानक लड़का।


सब लड़कों मै उस लड़के का आदर मान निराला।
गंगा यमुना अडसठ तीरथ रटे प्रेम की माला।
चाँद सूरज और तारे तक भी दे रहे थे उज्याला।
वेद धरम की बात सुणावै लखमीचंद जांटी आळा।

उस नै कवी मै मानूं जो भेद खोल दे जड़ का।
बिना जीव की कामनी कै हुया अचानक लड़का।


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