एक चिड़िया के दो बच्चे थे, वे दूजी चीड़ी ने मार दिए / लखमीचंद
song - Ek chidiya ke do bache the
writer - Pt. Lakhmichand
singer - Karampal Sharma
एक चिड़िया के दो बच्चे थे, वे दूजी चीड़ी ने मार दिए!
मैं मर गयी तो मेरे बच्चों ने मत ना दुःख भरतार दिए!!
एक चिड़े की चिड़िया मरगी, दूजी लाया ब्या के!
देख सोंप के बच्चों ने, वा बैठ गयी गम खा के!!
चिड़ा घर ते चला गया, फेर समझा और बुझा के!!
एक चिड़िया के दो बच्चे थे, वे दूजी चीड़ी ने मार दिए!
मैं मर गयी तो मेरे बच्चों ने मत ना दुःख भरतार दिए!!
एक चिड़े की चिड़िया मरगी, दूजी लाया ब्या के!
देख सोंप के बच्चों ने, वा बैठ गयी गम खा के!!
चिड़ा घर ते चला गया, फेर समझा और बुझा के!!
उस पापन ने वो दोनों बच्चे, तले गेर दिए ठा के!
चोंच मार के घायल कर दिए, चिड़िया ने जुलम गुजार दिए!!
एक चिड़िया के दो बच्चे थे, वे दूजी चीड़ी ने मार दिए!
मैं मर गयी तो मेरे बच्चों ने मत ना दुःख भरतार दिए!!
मैं मर जा तो मेरे पिया तू, दूजा ब्या करवायिए ना!
चाहे इन्दर की हूर मिले, पर बीर दूसरी लाईये ना!!
दो बेटे तेरे दिए राम ने, और तन्नै कुछ चायिए ना!!
रूप - बसंत की जोड़ी ने तू, कदे भी धमकायिये ना!
उढ़ा पराह और नुहा धूवा के, कर उनका श्रृंगार दिए!!
एक चिड़िया के दो बच्चे थे, वे दूजी चीड़ी ने मार दिए!
मैं मर गयी तो मेरे बच्चों ने मत ना दुःख भरतार दिए!!
याणे से की माँ मर जावे, धक्के खाते फिरा करे!
कोई घुड़का दे कोई धमका दे, दुःख विपदा में घिरा करे!!
नों करोड़ का लाल रेत में, बिन जोहरी के ज़रा करे!!
पाप की नैया अधम डूब जा, धर्म के बेड़े तिरा करे!
मरी हुई ने मन्ने याद करे तो, ला छाती के पुचकार दिए!!
एक चिड़िया के दो बच्चे थे, वे दूजी चीड़ी ने मार दिए!
मैं मर गयी तो मेरे बच्चों ने मत ना दुःख भरतार दिए!!
मेरा फ़र्ज़ से समझावन का,ना चलती तदबीर पिया!
रोया भी ना जाता मेरे, गया सुख नैन का नीर पिया!!
मेरी करनी मेरे आगे आगी, आगे तेरी तक़दीर पिया!!
लख्मीचंद तू मान कहे की, आ लिया समय आखिर पिया!!
मांगे राम ते इतनी कह के, रानी ने पैर पसार दिए!!
एक चिड़िया के दो बच्चे थे, वे दूजी चीड़ी ने मार दिए!
मैं मर गयी तो मेरे बच्चों ने मत ना दुःख भरतार दिए!!
*************************
Question and Answers
पंडित लख्मीचंद की मृत्यु कैसे हुई?
पंडित लख्मीचंद की मात्र 42 साल की उम्र मौत हो गई थी। 17 oct 1945
पंडित लख्मीचंद की मृत्यु कब हुई थी?
17 oct 1945
पंडित लख्मीचंद के गुरु का क्या नाम था?
जाटी कलां में मान सिंह सांग करने आए थे, उनसे प्रभावित होकर बालक लख्मीचंद ने पंडित मान सिंह को अपना गुरु मान लिया। मानसिंह जन्म से नेत्रहीन थे।
पंडित लखमी चंद का जन्म कहाँ हुआ?
जाटी कलां गांव , सोनीपत // 1903 में सोनीपत के अटेरना गांव में जन्मे
पंडित लख्मीचंद का गांव कौन सा है?
पंडित लख्मीचंद की मात्र 42 साल की उम्र मौत हो गई थी। सूर्य कवि पंडित लख्मीचंद के पौत्र विष्णु दत्त कौशिक ने बताया कि दादा लख्मीचंद का जन्म जाटी कलां गांव में 1903 को हुआ था। वे अनपढ़ थे। वे भैंस चराने के लिए जंगल में जाते थे।
सूर्य कवि के पौत्र सांगी विष्णुदत्त कौशिक ने कहा कि युवा पीढ़ी को केवल पंडित लख्मीचंद का नाम तो पता है, लेकिन उन्हें यह भी पता होना चाहिए कि एक अनपढ़ व्यक्ति ने अपने ज्ञान से 22 सांग काशी के शास्त्री टीकाराम से लिखवाए थे। पंडित लख्मीचंद सांग में रागणी बोलते थे और टीकाराम शास्त्री उन्हें लिखते थे। उनके आठ सांग तो यूपी के सूप गांव में चोरी हो गए थे। पंडित लख्मीचंद की मात्र 42 साल की उम्र मौत हो गई थी।